इतराई हुई कलियों की तरह,
इतराया हुआ सा रहता हूँ,
अलसाया हुआ सा रहता हूँ
मैं तनहा रातों की तरह,
आशिक की बातों की तरह,
भरमाया हुआ सा रहता हूँ,
मैं एक ग़ज़ल का हिस्सा हूँ,
शायर की जुबां से फिसल गया,
मस्जिद की किसी आयत की तरह,
दोहराया हुआ सा लगता हूँ,
घबराया हुआ सा रहता हूँ,
गहनों में सजी दुल्हन के हसीं,
घूंघट में छुपे चेहरे की तरह
शरमाया हुआ सा लगता हूँ,
शरमाया हुआ सा रहता हूँ,
इठलाया हुआ सा रहता हूँ,
नदिया के जवां धारे की तरह,
साहिल की तरह में धारे से,
टकराया हुआ सा रहता हूँ,
यादों के किसी खिलोने से,
मुफलिस के किसी बच्चे की तरह,
बहलाया हुआ सा रहता हूँ,
मन्दिर की किसी मूरत की तरह
ठहराया हुआ सा रहता हूँ,
तरसाया हुआ सा रहता हूँ,
मैकश की तरह साकी के लिए,
आधे की तरह बाकी के लिए,
तड़पायाहुआ सा रहता हूँ,
इंसान हूँ में भगवान् नही,
बेकस मैं अपनी सूरत से
घबराया हुआ सा लगता हूँ,
घबराया हुआ सा रहता हूँ,
Thursday, December 25, 2008
Sunday, December 21, 2008
जब न आएगी दीवाने की सदा आज के बाद,
कौन पूछेगा तेरे घर का पता आज के बाद।
कैस पूछेगा असीरी क्या है बतला फ़िर तो,
कौन मानेगा मुहब्बत को खुदा आज के बाद।
मैं न रहूँगा तो गुलों मत खिलना तुम भी,
कौन आयेगा ऐ चमन तू बता आज के बाद।
आँख पुरनम है रहेगी ये सहर तक बस,
फिर न बरसेगी तबस्सुम की घटा आज के बाद।
यूँ तो आयेंगे कई तुझसे मिलने लेकिन,
वो न मानेंगे तेरे दर को खुदा आज के बाद।
माना दिलकश है सफर तनहा रातों का
के न आए इस शब् की सबा आज के बाद।
ग़म है बेकस कि तुझे जाना है फ़िर भी,
तुझको ढूंढेंगी बिना दर की वफ़ा आज के बाद........।
कौन पूछेगा तेरे घर का पता आज के बाद।
कैस पूछेगा असीरी क्या है बतला फ़िर तो,
कौन मानेगा मुहब्बत को खुदा आज के बाद।
मैं न रहूँगा तो गुलों मत खिलना तुम भी,
कौन आयेगा ऐ चमन तू बता आज के बाद।
आँख पुरनम है रहेगी ये सहर तक बस,
फिर न बरसेगी तबस्सुम की घटा आज के बाद।
यूँ तो आयेंगे कई तुझसे मिलने लेकिन,
वो न मानेंगे तेरे दर को खुदा आज के बाद।
माना दिलकश है सफर तनहा रातों का
के न आए इस शब् की सबा आज के बाद।
ग़म है बेकस कि तुझे जाना है फ़िर भी,
तुझको ढूंढेंगी बिना दर की वफ़ा आज के बाद........।
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