Sunday, December 21, 2008

जब न आएगी दीवाने की सदा आज के बाद,
कौन पूछेगा तेरे घर का पता आज के बाद।

कैस पूछेगा असीरी क्या है बतला फ़िर तो,
कौन मानेगा मुहब्बत को खुदा आज के बाद।

मैं न रहूँगा तो गुलों मत खिलना तुम भी,
कौन आयेगा ऐ चमन तू बता आज के बाद।

आँख पुरनम है रहेगी ये सहर तक बस,
फिर न बरसेगी तबस्सुम की घटा आज के बाद।

यूँ तो आयेंगे कई तुझसे मिलने लेकिन,
वो न मानेंगे तेरे दर को खुदा आज के बाद।

माना दिलकश है सफर तनहा रातों का
के न आए इस शब् की सबा आज के बाद।

ग़म है बेकस कि तुझे जाना है फ़िर भी,
तुझको ढूंढेंगी बिना दर की वफ़ा आज के बाद........।

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