इस दुनिया में मेरा गुजर ना होगा,
वहीं जाऊँगा जहाँ खुदा होगा,
ना तो कुछ अपनों से अदावत,
ना ही रकीबों से वासता होगा,
कुछ दिन खाली रहेगा फ़िर वापस,
घर मेरा खुशियों को खुला होगा,
लोग जब करेंगे मेरी मौत की बातें,
कहेंगे इश्क का मामला होगा,
गर आया में वापस तेरी खातिर,
पर तू मुझे भूल गया होगा
दुनिया में यकीन नही बेकस,
आना खुदा के घर फैसला होगा........
Wednesday, January 14, 2009
Tuesday, January 13, 2009
आंखों के बादल बरसे तो यादों के निशाँ बह निकलेंगे,
अब के जो साहिल छूटा तो क्या जाने कहाँ बह निकलेंगे,
मशरिक की हवाएं आई तो सुन लेना ऐ मग़रिब वालों,
मुफलिस के घरौंदों से पहले सरवत के मकां बह निकलेंगे,
इखलाश से पे क्या इतराते हो फुरकत के दिन भी आवेंगे,
जब इश्क पुराना होगा तो मजनूँ के गुमां बह निकलेंगे,
इश्क में उम्र गवाने वालो सुनलो तुम ये पल घडियां,
उल्फत के पन्नो पर आई जो बाद-ऐ-शबा बह निकलेंगे,
अफसुर्दा हुज्नल रंजीदा सब सोचो तो बस जज्बे हैं,
साथ हुए तो ग़ज़ल संवर बेकस की जुबां बह निकलेंगे......
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