Wednesday, January 14, 2009

इस दुनिया में मेरा गुजर ना होगा,
वहीं जाऊँगा जहाँ खुदा होगा,

ना तो कुछ अपनों से अदावत,
ना ही रकीबों से वासता होगा,

कुछ दिन खाली रहेगा फ़िर वापस,
घर मेरा खुशियों को खुला होगा,

लोग जब करेंगे मेरी मौत की बातें,
कहेंगे इश्क का मामला होगा,

गर आया में वापस तेरी खातिर,
पर तू मुझे भूल गया होगा

दुनिया में यकीन नही बेकस,
आना खुदा के घर फैसला होगा........

6 comments:

प्रदीप मानोरिया said...

लाज़बाब अल्फाज़ से सजे गहरे ज़ज्बात

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा... अच्छी रचना..

ravishndtv said...

मज़ा आ गया बेकस जी।

only shayyiri... said...

very touching

eversmilingchet said...

lajwab hai ji..

Anonymous said...

Amazing..!!