बादा कशों की बस्ती में आया जो तेरा नाम गिरे,
हम थाम रहे थे नज़रों से तेरी जुल्फ खुली तो जाम गिरे।
कासिद जो ख़त लेकर आया उसमे थे नाम रकीबों के,
जिन्हें जिन्दादिली का दावा था पढ़ते ही एक कलाम गिरे।
तेरी एक नज़र से पी हमने फिर इतना खुमार चढा,
तू हंस के उठ गई महफिल से बेकस हम नाकाम गिरे।
1 comment:
बहुत बढिया!
तेरी एक नज़र से पी हमने फिर इतना खुमार चढा,
तू हंस के उठ गई महफिल से बेकस हम नाकाम गिरे।
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