घटा कुछ अलग है बरसात कोई और,
ऐ इश्क तेरे दिखते हैं हालात कोई और.
तू किसी और की परवाह करे है,
जले है तेरी याद में दिन रात कोई और.
पूछे है मेरी तबीअत आ आ के हवाएं,
लगती है मुझे ये तेरी करामात कोई और.
मैंने चाहा था कि अकेले में मिलूँगा,
बसा था तेरी रूह मैं उस रात कोई और.
पूछना तो उनसे सबब बेदिली का था,
आ गए लबों पे सवालात कोई और.
इस बार वफाओं का हिसाब मांगूंगा,
बेकस उनसे हुई जो मुलाक़ात कोई और.
Wednesday, July 30, 2008
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1 comment:
तू किसी और की परवाह करे है,
जले है तेरी याद में दिन रात कोई और.
Kya Bat He BEKAS Ji Very Nice.
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