क्या समझना था क्या समझे,
वो मुझ को भी बेवफा समझे,
तेरी आंखों में मैकदा देखा,
तेरी जुल्फों को घटा समझे,
लोगों पर यकीन कर बैठे,
तुम भी मुझे कहाँ समझे,
तू हमें नादान न कहना,
हम मुहब्बत को खुदा समझे,
उम्र ढल गई कदम फिसले,
लोगों ने देखा सब पिया समझे,
निगाहों में बसा है वो इस तरह,
जिसको देखा साक़िया समझे,
जाते हुए उसने मुझसे कहा,
राज़-ऐ-दिल बेकस कहाँ समझे,