Wednesday, November 12, 2008

वो ख़त के पुर्जे जला दिए,
वो फूल रेत में दबा दिए,

मुझे ज़माना भूल गया,
मैंने भी जमाने भुला दिए,

आँखों की गुस्ताखी ने,
ख़्वाबों के दीपक बुझा दिए,

कुछ लोगों ने छोटी सी,
बातों के फ़साने बना दिए,

कुछ लोगों ने राज़ गजब के,
दिल ही दिल में दबा दिए,

हमने उनका दर्द ले लिया,
रंज हमारे छुपा दिए,

जिनकी खातिर बेकस ने,
गिन कर बरसों बिता दिए,

आज उन्होंने बेकस की,
लाश पे चाकू चला दिए।

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